Sunday 4 January 2015

शातिर और दबंग

आम धारणा है कि भाषा को अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोगों ने बिगाड़ा है। सच्चाई इसके बिलकुल उल्ट है, भाषा की जो जड़ें तथा-कथित पढ़े-लिखे वर्ग ने खोदी हैं वैसी अनपढ़ तो कर ही नहीं सकता। हालांकि लेखकों, कवियों और शायरों से शुद्ध भाषा की उम्मीद नहीं रखी जाती उनके यहां तो नए विचार और कल्पना की उड़ान तो हो सकती है शुद्ध व्याकरण नहीं। लेकिन पत्रकार जो किसी भी लिखने वाले से ज्यादा पढ़ते और लिखते हैं, वे जब भाषा का जनजा निकालते हैं तो आश्चर्य होना स्वभाविक है। आज के मीडिया ने शब्दों के लिए अपने ही अर्थ घड़ लिए हैं, अकसर जिनका वास्तविक अर्थों से दूर-दूर तक कोई वास्ता तक नहीं होता। ऐसा ही दो शब्द है दबंग और शातिर।
शब्दकोश दबंग का अर्थ बताता है- जो किसी ने न दबे, निडर, बेधड़क, प्रभावशाली, दिलेर। अब इन अर्थों में कहां है गुण्डागर्दी या बदमाशी का भाव? आजकल के अखबार और टीवी दबंगों की दबंगाई के किस्से न जाने किन अर्थों में सुना और बता रहे हैं। आज से मात्र दस-बारह साल पहले तक दबंग एक सम्मानजनक और आदर योग्य शब्द था, पर जब से यह शब्द मीडिया के हत्थे चढ़ा है इसके अर्थ ही बदल गए। आज दबंग दो टके का गुण्डा बनकर रह गया है, जिसका काम अपने क्षेत्र में आतंक फैलाना भर रह गया है।
दूसरा शब्द है शातिर। इस शब्द को अक्सर शातिर चोर, शातिर बदमाश, शातिर लुटेरा जैसे अलंकारों के साथ पढ़ा-सुना होगा। पहली नजर में शातिर का अर्थ छटा हुआ या खतरनाक जैसा लगता है। ह$कीकत में शतरंज के खिलाड़ी को शातिर  कहते हैं, जैसे गोल्फ खेलने वाले को गोल्फर और फुटबॉल खेलने वाले को फुटबॉलर। शातिर महज एक माहिर खिलाड़ी होता जो न तो खतरनाक है और न ही छटा हुआ। क्या विश्वानाथ आनंद या गैरी कास्परोव किसी भी तरह से खतरनाक लगते हैं। हद तो तब हो जाती है जब कहा जाता है कि चार शातिर पकड़े, उनसे तमंचा और स्मैक बरामद। कोई भी भाषा को जानकार बेहोश हो सकता है जब किसी समाचार-पत्र में यह पढ़े कि- 'बहुत शातिर होते हैं मच्छर...।' बीबीसी की हिन्दी सर्विस वाले तो इसके लिए सारी हदें ही लांघ गए। वो लिखते हैं- 'कौअे से भी शातिर होते हैं चिपांजी...।'
अरबी भाषा के इस शब्द के साथ डॉ. हरदेव बाहरी द्वारा सम्पादित हिन्दी के सबसे प्रतिष्ठित शब्दकोश ने भी वही किया जो आम आदमी करता आ रहा है। डॉ. बाहरी इसका अर्थ बताते हैं- परम धूर्त, काइयाँ और चालाक। हमारे भाषा-विज्ञानियों ने शतरंज के खिलाड़ी के लिए सही शब्द शातिर छोड़कर पतंगबाज की तर्ज पर एक नया शब्द घड़ लिया है- शतरंजबाज। इसके लिए एक कहावत याद आती है- कुँए में ही भांग पड़ी हुई है। अन्दाजा है कि पहली बार बहुत तेज दिमाग ठग या धोखेबाज अपराधी के लिए शातिर दिमाग अपराधी इस्तेमाल हुआ होगा। धीरे-धीरे दिमाग गायब हो गया रह गया महज शातिर अपराधी। बाद में अपराधी भी गायब हो गया और सिर्फ शातिर रह गया। इस तरह एक अच्छा-भला शतरंज का खिलाड़ी बन गया छटा हुआ अपराधी।

No comments:

Post a Comment