Tuesday 3 February 2015

बटर-चिकन बनाम नवनीत-ताम्रचूड़

लगभग सारे मांसाहारी पदार्थों के नाम या तो अंग्रेजी में हैं या फिर अरबी, फारसी और तुर्की भाषा में हैं। हालांकि उत्तर भारतीयों ने उन्हें अपने ढ़ंग से मुर्गा-शुर्गा, कुक्क्ड़-सुक्क्ड़, बोटी-सोटी या लाल मांस कह कर कुछ देशी टच दिया है। आश्चर्य होता है कि हिन्दी वाले यहां कैसे मात खा गए? इसकी एक वजह जो मुझे समझ आई, वो आपसे साझा करता हूं। कल्पना करें, जब किसी होटल के मेन्यू में 'बटर-चिकन' की जगह आपको 'नवनीत-ताम्रचूड़' या 'मक्खन-कुक्कुट' लिखा हुआ मिले, तब आपको कैसा लगेगा? मुर्ग फारसी और चिकन अंग्रेजी भाषा के शब्द हैं, इसे हिन्दी में कुक्कुट या ताम्रचूड़ कहते हैं। इसी तरह बटर को नवनीत या मक्खन कहा जाता है। हालांकि ज्यादातर भारतीय नवनीत का अर्थ नए से लगाते हैं, यहां तक कि वे लोग भी जिनका नाम नवनीत है। जबकि हमारे यहां मक्खनसिंह या मक्खनलाल नाम बिना हिचकिचाहट रखे जाते हैं।
मुझे लगता है मांसाहारी लोग शेक्सपिअर के उस कथन में ज्यादा यकीन रखते हैं कि-'नाम में क्या रखा है।' सच भी है नाम में रखा भी क्या है, जब बात स्वाद की हो। अगर नाम की बात करें तो एक बेहद लोकप्रिय व्यंजन है मुर्ग-मुसल्लम, जिसका नाम नहीं खाने वाले भी जानते हैं। इसे भारत, पाकिस्तान के अलावा लगभग सारे दक्षिण एशिया में मुर्ग-मुसल्लम बोला और लिखा जाता है। मुर्ग तो आप जानते ही हैं मुर्गे को कहते हैं और मुसल्लम का अर्थ है समग्र, समुचा, अखण्ड। बात कुछ हज्म नहीं होती कि जिस मुर्गे के पंख उतार दिए, पंजे और गर्दन काट दी वह मुसल्लम कैसे हो सकता है? असल में यह मुसल्लम नहीं मुसन्नम है। अरबी भाषा में सम्न मतलब है तेल या घी होता है, और मुसम्न का अर्थ हो गया तेल या घी में गहरा तला हुआ। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह मुसम्मन जिसका मतलब होता है मोटा-ताजा चर्बी चढ़ा हुआ। यह बात इसलिए स्वीकार नहीं होती कि सारे मुर्गे तो मोटे और चर्बीले नहीं हो सकते। इसी तरह एक और आम-फहम मांसाहारी खाना है बिरयानी। पहली बात तो यह कि इसका नाम बिरयानी नहीं बिर्यानी है। फारसी में बिर्यां का अर्थ है भुना हुआ। इस व्यंजन में चावलों में भुना हुआ गोश्त डाला जाता है इसलिए इस पुलाव को बिर्यानी कहते हैं। 
कुछ और बहुत ही आम-फहम शब्द हैं, जो हर तीसरे मांसाहारी व्यंजन के साथ जुड़े रहते हैं जैसे-चिकन रोगन जोश, मटन रोगन जोश और शाही रोगन जोश। इनमें दो शब्द कॉमन हैं- रोगन और जोश। पहली बात तो यह कि यह रोगन नहीं रौग़न है, जो अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है घी या तेल। आपने सुना हो बादाम रौग़न, यानी बादाम का तेल। दूसरा शब्द है जोश इसका मतलब गोश्त ही है उत्साह नहीं। ऐसा ही एक मांस का प्रसिद्ध व्यंजन है हलीम। दरअसल इसका सही उच्चारण है लहीम। जिसका अरबी भाषा में अर्थ ही मांस है, जबकि हलीम का मतलब है सहनशील या गंभीर। कुछ लोग यख्ऩी को भी एक व्यंजन मान लेते हैं, जबकि यह बिना मसाला डाले बनाया गया गोश्त का वह शोरबा(सूप) है जो अकसर मरीजों के लिए बनाया जाता है।
अगर बात करें कबाब की तो यह कई प्रकार के होते हैं जैसे- क़ाकोरी कबाब, शामी कबाब और टुण्डा कबाब आदि। बहुत से खानेवाले कबाब का अर्थ ही मांस से लगाते हैं जबकि कबाब कीमे की तली हुई टिक्कियों या सीख पर सेकी हुई नलियों को कहते हैं। अब बात करते हैं उपरोक्त नामों के साथ कबाब के रिस्ते की। पहला है क़ाकोरी कबाब। क़ाकोरी बना है तुर्की भाषा के क़ाक़ शब्द से जिसका मतलब है सुखाया हुआ माँस। शामी कबाब का ताल्लुक शाम देश से है, जिसे आजकल सीरिया कहते हैं, वहां बनाया जाने वाला विशेष कबाब ही शामी कबाब है। कुछ लोगों का मानना है यह शामी नहीं सामी है जिसका अर्थ है श्रेष्ठ। तीसरा है टुण्डा कबाब जो एक हाथ वाले खानसामे हाजी मुराद अली के नाम जुड़ा है। कुछ शब्द और भी हैं जैसे- कोरमा, भुना हुआ मांस। कीमा कूटा हुआ मांस और कोफ्ता कूटे हुए मांस की गोलियां और अंत में यह भी कि हमारे यहां मटन से मुराद मांस या बकरे का गोश्त है, जबकि शब्दकोश के अनुसार मटन सिर्फ भेड़ का मांस होता है।

No comments:

Post a Comment