Friday 13 February 2015

काली सब्जी, सूखी तरकारी

फारसी भाषा में एक शब्द है सब्ज: या सब्जा, जिसका मतलब है हरा रंग, हरियाली या हरी घास। इसी शब्द से बना है सब्जी। जिसका शब्दकोश में मतलब है- साग-भाजी, हरे पत्ते और तरकारी आदि। सब्ज यानी हरे रंग से संबंधित होने की वजह से सब्जी का मूल अर्थ हरे पत्तों या हरी सब्जी से ही था, मगर वर्तमान में हम आलू, सफेद मूली और फूल गोभी, पीले पेठे, लाल टमाटर और गाजर तथा बैंगनी बैंगन आदि को भी सब्जी ही कहते हैं। हद तो यह है कि सब्जी को हरी सब्जी भी कहते हैं, यह कुछ ऐसा ही है जैसे काले को काला श्याम कहें।
सब्जी के लिए हिन्दी में एक शब्द है साग। यह शब्द संस्कृत के शाक: या शाकम् से बना है जिसका अर्थ है भोजन के लिए उपयोग में आनी वाली वनस्पतियां, हरे पत्ते या कंद, मूल, फल आदि। इसे कहीं-कहीं साक या शाक भी कहते हैं। यही वजह है कि वेजीटेरिअन को शाकाहारी कहा जाता है। साग के साथ एक और शब्द आता है भाजी जैसे सागभाजी। भाजी पकी हुई सब्जी को कहते हैं जैसे पाव-भाजी। प्रसंगवश यह भी कि मराठी में बेसन के पकोड़ों को भजिया कहा जाता है। अब भजिये का बीकानेरी भुजिया से क्या महज तले जाने का तक का ही संबंध है?
सब्जी के साथ एक और शब्द जुड़ा रहता है तरकारी। ज्ञात रहे सब्जी और तरकारी दोनों शब्द ही फारसी के हैं जो उर्दू से होते हुए हिन्दी में आए हैं। हालांकि तरकारी और सब्जी का एक ही अर्थ समझा जाता है, यानी सागभाजी। अर्थ एक होने के बावजूद दोनों में बहुत अंतर है। $फारसी भाषा में दो शब्द हैं पहला है तर: यानी तरा जिसका मतलब है सागभाजी या तरकारी। दूसरा शब्द है तर जिसका मतलब है गीला, एकदम ताजा और संतुष्ट। जाहिर है पानी से भीगा होना, एकदम तर-औ-ताजा होना ही साग-सब्जी की खासियत है। माना जाता है कि यह तर शब्द फारसी में संस्कृत की तृप् धातु से बना है जिससे बने तृप्त-परितृप्त शब्द का अर्थ भी यही हैं यानी प्रसन्न और संतुष्ट।
यह तो तय है कि तरकारी का तर होना बहुत जरूरी है पर पता नहीं हम क्यों सूखी सब्जी को भी तरकारी ही कहते हैं। इस बात की पुष्टि के लिए तरकारी से निकले दो और शब्दों का जिक्र करते हैं यानी तरी और करी का। तरी सब्जी के झोल जिसे कहीं-कहीं रसा भी कहा जाता है, को कहते हैं और करी से अर्थ है मसालों का शोरबा या झोल। इसमें कभी-कभी अण्डे या मांस भी डाला जाता है। अगर इसमें सिर्फ बेसन डाल लिया जाए तो यह करी से कढ़ी बन जाएगी। करी में थोड़ी अंग्रेजियत झलकती है जबकि कढ़ी में ठेठ देशीपन है। तभी तो हम आलू या प्याज की कढ़ी बनाते हैं और अॅग की करी।

1 comment:

  1. ज़ोरदार व्याख्या है..

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